अखंड सनातन भारत आवश्यक क्यों ??

अखंड भारत के पक्ष में एक और उम्दा तर्क

गोरे ईसाई लोगों की दुनिया,,,,,वो दुनिया जो आपके सामने है पर आप उसे देख नहीं पाएं हैं

एक बार नक़्शे पर नजर घुमाएं,,,,,,,,,,,,,,,पोलैंड से लेकर अमेरिका तक ,,,,,,,,,,,,,यदि एक व्यक्ति को इतना बड़ा भूभाग और संसाधन मिल जाए अपने विकास के लिए

यूरोप के कोने में पड़ा व्यक्ति अमेरिका में जाकर सफल हो सकता है पर एक भारतीय अपने ही देश मे एक कोने से दूसरे कोने में जाकर बसना मुश्किल है और इससे आसान है विदेश में जाकर सेटल हो जाना

अब समझ आया की कम्युनिस्ट चीन और ईसाई यूरोप अमेरिका, मुस्लिम अरब देशों की नहीं बल्कि हिन्दू राष्ट्र की मुखर आलोचना क्यों होती है ??

ये बात एक फिल्म का ट्रेलर देखते हुए दिमाग में आयी ,,,,,,,,,,,,,, अंग्रेजी फिल्म का ट्रेलर देखते हुए जो नजर आया वो ये था की स्कॉटलैंड की पहाड़ियों में एक लड़का किशोरावस्था में है और वहीं उसे प्यार भी होता है पर फिर परिस्थितियां ऐसी होती हैं की वो लड़का अमेरिका में काम करता दीखता है

और तब ये बात दिमाग में आयी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये ठीक से दिखा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक लड़के या लड़की के लिए जो स्कॉटलैंड या फ्रांस में पला बढ़ा हो उसके लिए जर्मनी में, स्पेन में, इटली में या अटलांटिक महासागर के उस पार अमेरिका में रहना और काम करना या समाज में घुलमिल जाना बिलकुल भी कठिन नहीं था या है

अगर आप देखें तो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से पश्चिम के देश एक बहुत बड़ी शक्ति बन पाए ,,,,,,,,,,,,,,दुनिया में और भी कई क्षेत्र हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,रीजन है ,,,,,,,,,,,,,,,,,दक्षिण एशिया है ,,,,,,,,,,,,संसाधनों से सम्पन्न अफ्रीका है,,,,,,,,,,,,,,,,,पर कहीं भी इस तरह की शक्ति और सम्पन्नता और वर्चस्व दिखाई नहीं पड़ा

ये दिखा सिर्फ और सिर्फ अमेरिका कनाडा पश्चिम यूरोप के देशों में,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,फिर सोवियत यूनियन टूट गया ,,,,,,,,,,,,,,,नाटो का विस्तार हुआ ,,,,,,,,,,,,और पश्चिम जर्मनी तक सीमित नाटो आगे बढ़ा और यूक्रेन की सीमा तक पोलैंड,, रोमानिया फ़िनलैंड, स्वीडन और कई देश इस संगठन में शामिल हुए

ये हुआ नब्बे के दशक में ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद से ये गोरे ईसाई बहुल देश एकदम दुनिया पर छा गए,,,,,,,,,वो जो भी करें और जो भी कहें वो ही कानून माना जाता था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दुनिया उनकी तरफ खीचती चली गयी और सब उनके अनुसार ढलने की कोशिश में लग गए

लेकिन ऐसा क्यों ,,,,,,,,,,,,,,,,, ऐसा क्यों हुआ

ऐसा क्यों हो पाया

सिर्फ इसी एक क्षेत्र में इतनी सम्पन्नता, वर्चस्व और ताकत पनप पाया,,,,इसी क्षेत्र में कई शोध संसथान निकले भले उनकी नीयत कुछ भी हो,,,,,,,,,और दुनिया भर के बारे में जानने और कहाँ कितना शोषण करना है,,,,,,,,,,,,,, इसके बारे में जानकारी इकठ्ठा हुई,,,,,सब इसी क्षेत्र में

इसके पीछे एक ही कारण है ,,,,,,,,,,,,,,,,समान संस्कार ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इनमें से ज्यादातर देश पुराने समय में Imperial powers रहे हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन फिर परंपरा और नियम और जीवन मूल्यों के मानदंड पर इन सभी भूभागों में कोई विशेष अंतर नहीं है
भाषा का अंतर हो सकता है ,,,,,,,,,,और है भी ,,,,,,,,,,,,पर उसके अलावा और कोई भी ऐसा पक्ष नहीं था जो इन्हे अलग अलग करता हो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,तो ये सभी यूरोप के एक देश से दूसरे देश जाएँ और रहने लगे तो बहुत जल्द ही वहां शादी कर अपना परिवार बसा सकते थे या हैं

और इस तरह इन देशों में लोगों ने अपने स्तर पर देशों को और नजदीक ला पाए ,,,,,,,,,,,,,,,,याद रहे पहले भी दो राजा यदि दोस्ती करना चाहते हों तो एक दूसरे के परिवार में शादी कर देते थे जिससे साथ होने को लेकर विश्वास हो जाए

तो अगर आप नक्शे पर देखें ,,,,,,,तो पोलैंड और लाटविया फिनलेंड से लेकर अमेरिका और कनाडा एक बहुत बड़ा भूभाग है और बीच में अटलांटिक महासागर है

जो आप देखते हैं पर समझ नहीं पाते हैं,,,,,,,,,,,,,,,,, वो ये हैं पोलैंड के एक व्यक्ति के पास पूरा यूरोप और अमेरिका कनाडा है ,,,,,,,,,,वो इस क्षेत्र में कहीं भी आना जाना घूमना बसना तय कर सकता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये बहुत बड़ी ताकत है ,,,,,,,,,,,,,

क्या आप सोच सकते हैं,,,,,,,,,,,,,,,,इतने बड़े लगातार चलने वाले सतत भूभाग में (बीच में केवल अटलांटिक महासागर है प्रमुख रूप से) कोई भी नागरिक कहीं भी जा सकता है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं भी संसाधन का उपयोग कर अपने जीवन को बेहतर बना सकता है

लेकिन अगर आप भारत में देखें ,,,,,,,,,,,,,,,तो राजनीति बिलकुल उलट हुई है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक तथाकथित नेता ने भारत के बारे में यहाँ तक कहा की ये देश दरअसल यूनियन ऑफ़ स्टेट्स है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक देश नहीं कई प्रांतों का समूह

भाषा और क्षेत्रीयता को लेकर जिस तरह की विस्फोटक और खंडित करने वाली राजनीति भारत में हुई,,,,वो अभूतपूर्व है ,,,,,,,,,,,,,विशेष तौर पर इस सन्दर्भ में की इस देश ने एक विभाजन देखा था तथाकथित अहिंसक आंदोलन के चलते,,,,,,,,,,,,,,,बेशर्मी आज भी जारी है जब नार्थ साउथ डिवाइड की बातें बढ़ा चढ़ा कर की जाती हैं

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से लेकर तेलंगाना और तमिल नाडू के लोगों के लिए पश्चिम के देशों में जाकर बसना और वहीं की नागरिकता हासिल करना कहीं आसान है और उन्हें वहां अपने परिवार और करियर दोनों की संतुष्टि मिल पाती है

लेकिन मध्य या उत्तर भारत या दक्षिण भारत से कितने लोग ऐसे हैं जो ये सोचते हैं की उत्तर पूर्व में जाकर बस जायेंगे और वहीं जिंदगी जियेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,बल्कि बाहर से इतने लोग उत्तर पूर्व में आकर घुसपैठ कर दिए की अब और किसी को भी उत्तर पूर्व के लोग बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,कम से कम अभी तक तो यही मामला है

तो आप देखें की नाटो गुट के देश और भारत ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,दोनों के पास एक बड़ा भूभाग है और समुद्री संसाधन भी भरपूर है

लेकिन जहाँ यूरोप और अमेरिका के लोग समान संस्कार के कारण कहीं भी आना जाना कर सकते हैं और कहीं भी जिंदगी गुजारना तय कर सकते हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,वहीं भारत में कोशिश यही हुई की यहाँ के लोगों को हर तरह से खंडित रखा जाए और फिर कश्मीर और पाकिस्तान वाली नीतियों ने तो कश्मीरी हिन्दुओं को अपनी जमीन पर भी नहीं छोड़ा और उन्हें अंदरूनी पलायन करना पड़ा,,,,,,,,,,,,,,,,आज तक वो अपने घर वापस नहीं जा सके हैं

तो इसलिए अखडं भारत की कोई आलोचना कर सकता और वो निश्चित ही भारत की समृद्धि नहीं चाहता ,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन अखडं और हिन्दू भारत की परिकल्पना इस बात के लिए जरुरी है की हिन्दू सभ्यता उत्कर्ष पर जा सके

अखडं भारत का नक्शा देखें और जब आप ये देख पाएंगे की म्यांमार या बाली से लेकर सुदूर उत्तरी पाकिस्तान ,,,,नेपाल,,भूटान या श्रीलंका मॉरिशस ,,,,,,,,,,,,,,इस भूभाग में सभी बसने वाले एक समान संस्कार वाले होंगे और कोई कहीं भी आना जाना और बसना कर सकेगा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,तब उत्कर्ष की यात्रा सही मायने में शुरू होगी

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