भारत और थाईलैंड वैसे तो अच्छे मित्र देश हैं पर हाल में चावल के मुद्दे पर दोनों देशों पर तल्खी हो गयी,,,,,,,,,,,,,,,मामला WTO के प्लेटफार्म का है जहाँ पर थाई राजदूत Pimchanok Vonkorpon Pitfield ने भारत पर एक तरह से आरोप लगा दिया की पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (जिसके माध्यम से उत्पादकों से आवश्यक खाद्यान्न खरीद कर लोगों को सस्ते दरों पर उपलब्ध कराया जाता है) का इस्तेमाल कर भारतीय चावल दरअसल निर्यात बाजार पर वर्चस्व करना चाहता है
ये बताना होगा की थाईलैंड भी एक बड़ा चावल उत्पादक और निर्यातक देश है,,,,,,,,,मामला अबू धाबी में हुए WTO की मंत्री स्तरीय वार्ता का है जब दोनों देशों में इस मुद्दे पर भारी तनाव हो गया,,,,,,,,,भारत ने इस मुद्दे पर थाईलैंड के राजदूत के खिलाफ विरोध दर्ज किया,,,,,,,,,थाईलैंड ने भी त्वरित कारवाई करते हुए अपने राजदूत को फ़िलहाल बदल दिया
थाईलैंड एक 20 दलीय कैर्न्स ग्रुप का सदस्य है और भारत के कृषि सब्सिडी पर आपत्ति करते हैं इस आधार पर की इससे दुनिया में खाद्यान्न की कीमतों में विकृति उत्पन्न करता है,,,,,,,,,जहाँ WTO के नियमों के अनुसार विकासशील देश होने के चलते भारत अधिकतम दस प्रतिशत सब्सिडी दे सकता है. इधर भारत ने माना है की उसने कृषि पर 13 प्रतिशत से कुछ अधिक सब्सिडी दिया है.
पर भारत का पक्ष है की दरअसल WTO में सब्सिडी की गणना की दोषपूर्ण है और इसको बदलने पर जोर दिया है.