तैयारी इस बात की अबकी बार ट्रम्प के शाषन में ईसाई राष्ट्रवाद हावी रहने की पूरी सम्भावना है. अगर कई समूह भारत को लेकर शिकायत करते रहेंगे या यहाँ पर अपनाई गयी नीतियों से वो संतुष्ट नहीं होंगे तो ट्रम्प प्रशाषन पर उनका बहुत असर होने जा रहा है.
आपको जानकारी मिली होगी की भारत अमेरिका से लम्बी दूरी के ड्रोन खरीद की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहा है. ये भी की अब तो अमेरिकी संसद (कांग्रेस) से भी कोई आपत्ति नहीं आयी है और इस डील पर अब दोनों देशों के तकनीकी विशेषज्ञ दाम को लेकर सौदेबाजी करेंगे।
पर ये कोई एक अकेला रक्षा सौदा नहीं है क्योंकि भारत अमेरिका एक दूसरे के नजदीक आ रहे हैं. रक्षा और व्यापार जैसे मुद्दों पर प्रगाढ़ता बढ़ा रहे हैं. अब जब इसी साल के अंत में एक नया राष्ट्रपति चुना जाना है और सम्भावना इसी बात की है वो ट्रम्प ही होंगे तो भारत के नीति निर्धारकों को चिंता होगी। राष्ट्रवादी भी रहे सावधान क्योंकि अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
मणिपुर में उपजी हिंसा में दोनों तरफ के लोग मारे गए और ये भी स्पष्ट था की म्यांमार के लोग घुसपैठ कर मणिपुर में मैतेई लोगो को निर्वासित करना चाहते थे लेकिन जब हिंसा हुई तो यूरोपीय संसद में मामला उठा. और वहां पर सबने मजहबी चश्मे से ही बात की. ये ठीक है की यूरोपीय संसद की वो कूवत नहीं है और चर्चा केवल अकादमिक डिबेट तक सीमित रही पर इससे रुझान का पता तो चलता ही है.
और ट्रम्प के पिछले कार्यकाल से भी तुलना ठीक नहीं होगी। अमेरिका में मूड बिलकुल अलग है इस बार. कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान और सोशल मीडिया के अधिपति इस बात पर लगातार ध्यान दिला रहे हैं की देश हाथ से निकल रहा है. वो सीमा पार से आसान घुसपैठ के वीडियो बनाकर पूरे देश में दिखाया जा रहा है.
मामला इतना बदल चूका है की जहाँ पिछले कार्यकाल में ट्रम्प द्वारा शरण मांगने आने वालों को देश के लिए हमलावर निरूपित किया और मीडिया में बवाल हो गया. एक रिपोर्टर ने तो बहस इतनी गर्म कर दी की उसकी वाइट हाउस की अधिमान्यता ही रद्द कर दी गयी. उस बहस के वीडियो क्लिप दिखाकर कुछ रब्बिश टाइप पत्रकार पूछा करते थे की ये सब यहाँ भारत में संभव है क्या ?
लेकिन इस बार ट्रम्प अपने चुनावी अभियान में ही वादा कर रहे हैं की वो देश का सबसे बड़ा निर्वासन कार्यक्रम चलाने जा रहे हैं और अभी तक अमेरिकी या यूरोप की मीडिया में कोई बवाल नहीं है. बवाल अगर है तो इस बात को लेकर की ट्रम्प ने सभी नाटो मेंबर देशों को चेताया है की उन्हें अपनी जीडीपी का दो प्रतिशत रक्षा तैयारी पर खर्च करना ही होगा, नही तो ट्रम्प का अमेरिका उनके देश को बचाने नहीं आएगा। तो आप समझ सकते हैं की जनता और मीडिया इस बार अमेरिकी चुनाव में अलग मूड में हैं.
अगर ट्रम्प ने देश में ईसाई राष्ट्रवाद लागू किया या उस तरफ बढ़ चले तो भारतीय समुदाय पर उसका क्या असर होगा ? ये संभव है की यहूदी और हिन्दू समुदाय मिलकर ट्रम्प प्रशाषन से कोई सहमती बना पाएं। लेकिन इतना तो तय है की इस बार रिपब्लिकन पार्टी ट्रम्प के कार्यकाल से शुरू करते हुए गोरे ईसाई वोटरों के लिए बढ़ चढ़ के काम करेगी।
अमेरिका में प्रमुख रूप से दो दलीय व्यवस्था है. रिपब्लिकन और डेमोक्रैट। अमेरिका में कई राज्य हैं जहाँ बार बार एक ही पार्टी को चुना जाता है. जैसे भारत के गुजरात में भाजपा लम्बे समय से सत्ता में है। अब इस बात की मीडिया रिपोर्टिंग बड़े स्तर पर हो चुकी है की रिपब्लिकन पार्टी नियंत्रित राज्यों में वोटर लिस्ट के नियम कड़े किये जा रहे हैं. इतने कड़े की रिपब्लिकन पार्टी के लिए चुनावी माहौल अनुकूल रहे.
केंद्र में सत्ता में आने पर भी यही सारी नीतियां राष्ट्रीय स्तर पर लागू की जा सकती हैं और तब भारतीय समुदाय के लिए कठिनाई हो सकती है। भारत की सरकार ने इधर कई देशों जैसे फ्रांस, इजराइल और जापान में भारतीय छात्रों के लिए जगह बनाने की कोशिश की है. यूरोप के देश जैसे जर्मनी में भी कुछ गुंजाईश निकल आयी है.
पर अमेरिका में अभी भी बड़ा भारतीय समुदाय रहता है और उनके लिए स्थिति विकट हुई तो वो लौटेंगे। वो तो लौटेंगे और विदेशी मुद्रा जो वो कमा के भेजते थे ,उस में भी कमी आ सकती है.
इसलिए राष्ट्रवादी भारत के आसपड़ोस पर ध्यान देवें। सिर्फ भारत सरकार के स्तर पर ही काम नही हो पायेगा। भारत के जनमानस में भी इस बात की समझ होनी चाहिए की आसपड़ोस में कई क्षेत्रों में भारतीयों के लिए मौके खुल जाएंगे। अमेरिका जब भीतर की ओर देखने लगेगा तो भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध स्थापित करना और आसान होगा।
फिर चाहे वो रूस और ईरान हो या खाड़ी देश, इजराइल और यूरोप। अगर अमेरिका में परम्परावादी गुट हावी होते हैं तो भारत मे भी फेमिनिज्म के नाम पर समाज को बर्बाद करने की नीति पर वैश्विक रोक लगेगी। भारतीय समाज में एक बार फिर परिवार नाम की संस्था को महत्व मिलेगा। समाज का डेटोक्सिफिकेशन हो सकता है.
इसलिए सभी पक्षों पर नजर रखिये और तैयार रहिये।