दुनिया में आबादी तेजी से गिर रही है और 2050 तक तीन चौथाई देशों में हालात ऐसे हो सकते हैं की जन केंद्रित सेवाओं को जारी रखना तक मुश्किल हो जाए. बाते करें अमेरिका और ब्रिटेन जैसे आर्थिक महाशक्तियों की, तो उनके यहाँ स्थिति और भी गंभीर होती दिख रही है.
कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए की ये दोनों देश अपनी अर्थव्यवस्था के लिए बाहरी लोगों पर पूरी तरह आश्रित होंगे. वैसे ये कोई दबा छिपा मुद्दा भी नही है, दुनिया के कई देशों में शीर्ष नेतृत्व स्तर पर ये बात संज्ञान में है और उनकी ओर से हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं.
जापान, सिंगापुर, रूस के साथ यूरोप के कई देशों में स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है. शोध से ये भी पता चला है की माता पिता को छुट्टी देने, बच्चे पैदा करने के लिए अलग प्रकार के इंसेंटिव जैसे सरकारी क़दमों का कोई खास असर नहीं हो रहा है और जन्मदर लगातार गिर रही है.
और भी आश्चर्यजनक ये है की जिन देशों में इस दौरान आबादी के बढ़ने की उम्मीद की जा रही है उनमें से ज्यादातर अफ्रीका के गरीब देश हैं. उदाहरण सोमालिया, माली, अंगोला, तंज़ानिया आदि देशों से आबादी में बढ़त की उम्मीद है.
मर्दों की जीवनशैली में क्रांतिकारी परिवर्तन के साथ महिलाओं का घर से बाहर निकलना ऐसा पारिवारिक परिवेश का निर्माण कर रहा है जिससे बच्चों के बारे में सोचना और परिवार बनाये रखना बेहद मुश्किल होता जा रहा है.