रिद्धि पटेल, एक भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक, जिसे बेकर्सफ़ील्ड सिटी कौंसिल के मेयर और अन्य पदाधिकारियों की हत्या की धमकी के मामले में गिरफ्तार कर आरोप लगाए गए.
देखने में ये एक छोटी और मोटी सी लड़की ही थी, सिर्फ 28 साल की है और इस बात से नाराज थी की सिटी कौंसिल गजा में युद्धविराम के प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर रहे थे. वो इस बात से भी चिढ़ी हुई थी की इजराइल के विरुद्ध धरना प्रदर्शन को लेकर ज्यादा सिटी कौंसिल में सुरक्षा के नाम पर मेटल डिटेक्टर्स लगा दिए गए थे.
पटेल के गिरफ्तार होने के बाद उसके बाकी साथियों ने उससे दूरी बना ली और बाद में कोर्ट में आठ आठ आंसू बहती दिखी। मगर ये सब तो अमेरिका में हुआ, तो इसमें भारत को क्या करना चाहिए. भारत को ऐसी किसी घटना से क्यों चिंतित होना चाहिए?? अपनी स्पीच के दौरान इस लड़की ने नवरात्र त्यौहार मनाये जाने पर भी कड़ी आपत्ति दर्ज की.
वैश्वीकरण का लाभ ले चूका है भारत और अब उसे इस बात की चिंता करनी ही होगी की दुनिया के विभिन्न देशों में हिन्दू समुदाय किस तरह के खतरे झेल रहा है या किस तरह के प्रभाव में है.
भारत इन दिनों अमेरिका के बेहद नजदीक जा रहा है. उन्नत टेक्नोलॉजी हो या उभरती हुई नयी तकनीक, दोनों में अमेरिका ने भारत को अपने साथ काम करने को तैयार कर लिया है. इसका आशय यह हुआ की दिमागी तौर पर तेज तर्रार भारतीय युवा अब पहले से ज्यादा अमेरिका के प्रति एक्सपोज्ड होंगे.
इस तरह का एक्सपोज़र उन पर कब और कैसा असर डालेगा, ये चिंता का विषय होना ही चाहिए. एक छोटी सी और मोटी सी लड़की को अमेरिका में काम करते इतना पागल बना दिया गया की उसने भरी सभा में हत्या करने की धमकी दे डाली, एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर.
इस तरह का पागलपन जिसे अंग्रेजी में radicalize होना कहते हैं, वो अमेरिका के शहरों में ही हो रहा है. भारत की सरकार और यहाँ राष्ट्रवादी संगठनों को ये देखना ही होगा की अमेरिका में भारत विरोधी आंदोलन खुले तौर पर चल रहे हैं, अमेरिका में चुनावी नतीजों के बाद वहां की संसद पर हमला हो जाता है (साल 2021 की जनवरी 6), ट्रम्प के कार्यकाल में ‘Black Lives Matter’ जैसे देश व्यापी आंदोलन चल निकलते हैं.
इसके इतर भी अमेरिका आज के दिन वो सरकार है जो इलेक्ट्रिक व्हीकल और सोलर पैनल बनाने में चीन का मुकाबला नहीं कर पा रही है, अपने खुद के देश युवाओं के लिए काल बन रहे कुछ विशेष ड्रग्स की आमद को रोक भी नहीं पा रही है और जो अपनी सीमा को सुरक्षित नहीं रख पा रही है क्योंकि लोग बॉर्डर पार कर आसानी से देश में दाखिल हो रहे हैं.
ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर भारतीय युवाओं का अमेरिका के प्रति एक्सपोज़र कितना ठीक है, इस पर जरूर विचार होना चाहिए। एक समय था जब भारत लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल के उस पार आतंकी तैयार होने को लेकर चिंतित रहता था पर आज के दिन एक छोटी सी मोटी सी लड़की ही खुले आम हत्या की बात कर रही है क्योंकि एक नगर निगम इजराइल गाजा के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित नहीं कर रहा है और शायद इसलिए भी की वहां कुछ मुट्ठी भर लोग नवरात्र मना रहे हैं. Radicalization का ये आलम हो चूका है की साल 2023 में सैन फ्रैंसिस्को स्थित भारतीय कांसुलेट में आग लगा दी गयी थी और इसके बाद भी अमेरिका की ओर से कोई विशेष गंभीरता नहीं दिखाई गयी.
जहाँ रिद्धि पटेल की हत्या की धमकी पर उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, वहीं भारत के प्रति नफरती अभियान चलाने वाले लोग वहां की ख़ुफ़िया एजेंसी की सुरक्षा में हैं.
ऐसे में अब ये जरुरी हो गया है की भारत में पैसे वाले माँ बाप को समझाया जाये की किसी सामान्य देश में अपने बच्चों को भेजे जहाँ यूनिवर्सिटी में पढाई होती है.