दुनिया के बड़े हिस्से में गरीबी और आर्थिक मौकों की कमी है, हमेशा से रही है. इसी दुनिया के एक छोटे से हिस्से में इतनी सम्पन्नता है की लोग काजू बादाम चावल दाल की तरह खाते हैं और उनके घर में कुत्ते बिल्ली हों या छिपकली, सबको बढ़िया खाना और इलाज की सुविधा होती है. इतनी सम्पन्नता है की ये लोग एक बड़ी से वैन या बस में रोज़मर्रा का सामान इकठ्ठा कर पूरे देश घूमने निकल पड़ते हैं, जबकि बाकी दुनिया वही छोटी या बिना खिड़की वाले दो कमरों में जीते रहते हैं.
गरीबी उन्मूलन का काम सरकारों का है, ऐसी धारणा बहुत समय से चली आ रही है. पर बीते दो दशकों में टीवी और इंटरनेट का प्रसार इतना हुआ है की लोग प्राय खुद भी कई प्रकार से सक्षम हुए हैं.
कई लोग अब दुनिया के बारे में बेहतर जानकारी रखते हैं और इसका लाभ उठाने से पीछे नहीं रहते। जैसे गरीब देशों से बड़े पैमाने पर उन्नत और संपन्न देशों की ओर पलायन एक उद्योग बन चुका है. लोग अब इसके लिए तैयार भी होते हैं और इस का लाभ उठा पाते हैं क्योंकि अब उन्हें दुनिया के विभिन्न हिस्सों की बेहतर समझ है.
तो यदि आप भी गरीब हैं और बेहतर जीवन के लिए दुनिया में कहीं भी आने जाने के लिए तैयार हैं तो आपको कुछ मूल बातें पता होनी चाहिए. कौन से देश या समाज में सम्पन्नता है और इतना खुलापन है की आपके और आपके जैसों के लिए जगह बन पाए, उसको मापने के कुछ तरीके हैं.
आइये देखें
फ़ास्ट फ़ूड, स्ट्रीट फ़ूड कल्चर,,,,,,,,कोई भी घर समाज में युवा चटोरे होते हैं पर यदि उनके घर परिवार सही सटीक हो तो बड़े बूढ़े रोक टोक जरूर करते हैं और घर का खाना खाने पर जोर देते हैं. इसके उलट भी घर के युवा भी बड़े बूढ़ों को टोकते हैं की समय से खाना पीना करो और स्वास्थ्य का ख्याल रखो. कोई भी समाज जहाँ घर परिवार के लोग एक दूसरे को बाहर खाने पीने से रोक टोक नहीं करते, वहां सब व्यस्त हैं. जब अपनों के लिए ही समय नहीं है तो देश समाज की चिंता भी नहीं होगी और ऐसे टूटे परिवार या समाज में घुस जाना आसान होगा.
पालतू कुत्ते बिल्ली का चलन,,,,,,किसी भी समाज में यदि पालतू कुत्ते, बिल्ली पालने का ट्रेंड बढ़ता दिखे, इन पालतू चौपायों के लिए चेकअप और खाने पीने के लिए विशेष दुकानें दिखने लगे तो भी समझना चाहिए की संभ्रांत वर्ग ने भावनात्मक रूप से उनमें अधिक निवेश किया है. जब अत्यधिक व्यस्त दिनचर्या में से समय निकले और कोई व्यक्ति अपने पालतू चौपायों के साथ वो समय गुजारना पसंद करे तो यही समझना चाहिए की वो प्रशिक्षित पालतू के साथ कम्फर्टेबल है ना की भावनाओं के मामले में अनिश्चित मानव के साथ.
ज्यादा बड़ी और बंद गाड़ियां,,,,,,,,,,,,आम तौर से बड़ी और बंद गाड़िया इस बात का द्योतक हैं की कोई भी सफल और अति व्यस्त व्यक्ति अपना जरुरी सामान लेकर घर से निकलता या निकलती है तो देर रात तक वापसी की उम्मीद नहीं है. बड़ी गाड़ी में दैनिक जरुरत का सब कुछ फिट हो सकता है और बंद गाड़ी में प्राइवेसी के साथ बाहर के मौसम या व्यवधान से मुक्ति होती है. इन दोनों का मतलब यही है की समाज में व्यस्त और सफल लोग अपने घर मोहल्ले के बारे में नहीं जानते होंगे तो वो बाहर से आने वालों की क्या चिंता कर पाएंगे. तो ऐसे समाज में भी घुस जाना आसान होता है.
किराये का कमरा आसानी से मिलना,,,,,,,,,,इसका मतलब ये है की उस क्षेत्र में आबादी का आवागमन काफी तेज है और लोग लगातार बदलती आबादी के अभ्यस्त हैं. तो ये भी मौका है की कोई ‘बाहरी’ आकर यहाँ लम्बी पारी खेल सकता है.
डेटिंग कल्चर / कैज़ुअल सेक्स,,,,,,,,,,,,डेटिंग और कैज़ुअल सेक्स का ट्रेंड जिस समाज में जोर पकड़ ले, वहां लोगों की शादी में रुचि कम होना स्वाभाविक ही है और इसका मतलब है की वहां पर स्थानीय आबादी कम होने वाली है और बाहरी के लिए गुंजाईश बेहतर है. किराये का कमरा भी एक इंडिकेटर है, यदि युवा घंटे दो घंटे के लिए कमरे को किराये पर आसानी से ले सकते हैं तो समाज पूरी तरह विघटन की राह पर है और इसका फायदा बाहरी उठा ही सकते हैं.
माँ का बच्चों से ‘love u beta’ कहना,,,,,,,,,,,,,,,,,,पुराने समय में माँ पूरे समय के लिए माँ होती थी, खेत हो या अन्य कोई घरेलु उद्योग, वहां पर माँ अपने बच्चों को नहीं छोड़ती थी,,,,,,,,,,,,,,,वो बच्चों के सक्षम होने तक उनके साथ बनी रहती थी और उनकी देखभाल करती थी,,,,,,,,,,,बच्चे सुरक्षित रहते थे,,,उनके हंसने रोने का पता चलता था,,,,,,,,,,,,,,,,,,और माँ से बॉन्डिंग विकसित हो जाती,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, पर चुकी घर बाहर के काम का बोझ भी रहे और बच्चे को भी पलना होता था तो वो चिड़चिड़ी भी हो जाती थी,,,,,,,,,,,,वो चप्पल फेंक कर ,,,,,,,गाली देकर,,,,,,,आँख दिखाकर,,,,,,,,गुस्सा कर ,,,,,,,,,,,,,,,बातचीत बंदकर,,,,,,,,,और ऐसे ही तरीकों से अपने बच्चे से संवाद करती थी………पुराने ज़माने में माँ और बच्चों में पूरा जीवन निकल जाता था,,,,,,,,, कभी “लव यू बेटा” बोलने की जरुरत नहीं पड़ती थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर अब माँ और बच्चों के पास एक दूसरे के लिए समय नहीं है,,,,,,,बच्चे माँ के हाथ का खाना पीना जानते भी नहीं,,,,,,,,,,,वो ऑनलाइन आर्डर या नजदीकी eatery को जानते हैं,,,,,,,,,,,,,,,, तो इसलिए अब चुकी माँ बच्चे एक साथ हैं ही नहीं और कोई ख़ास बॉन्डिंग भी नहीं है तो इसलिए फ़ोन पर “लव यू बेटा” बोलना पड़ता है.
ऊपर दिए मानकों पर किसी भी समाज और देश को माप लें और आपको मालूम हो जायेगा की यहाँ बाहरी लोगों का आना बसना बिलकुल आसान है,,,,,,,,,,डेमोग्राफी बदलना बिलकुल आसान है.