आधुनिक जीवनशैली में मोबाइल फोन अपने इस्तेमाल करने वाले के बारे में लगभग सभी कुछ जानता भी है और ये सभी कुछ स्टोर भी रखा जाता है. अब कई प्रकार के इन्वेस्टीगेशन में मोबाइल फोन से जानकारियां जुटाई ही जाती हैं और इसका इस्तेमाल केस को मजबूत करने में किया जाता है.
ठीक इसी तरह सड़कों, शॉपिंग मॉल में लगे CCTV कैमरा में दर्ज फूटेज का इस्तेमाल भी केस को समझने या मजबूत करने में किया जाता है. अब बात होने लगी है की पति पत्नी के मध्य भी बात तलाक तक पहुंचे तो इंटरनेट हिस्ट्री का इस्तेमाल कर दोनों पक्ष अपना केस मजबूत कर सकते हैं.
अब विचार ये होना चाहिए की क्या पति पत्नी या दोनों की तरफ से नियुक्त वकील आधिकारिक रूप में अपने केस की तैयारी में विपरीत पक्ष के इंटरनेट हिस्ट्री की मांग रख सकते है.
इसमें लॉजिक ये भी दिया जा रहा है की आम तौर से किसी भी समाज या देश में धारणाएं प्रबल होती हैं. कई ऐसे समाज हैं जहां पर पुरुष को हर तरह से दोषी मान के चला जाता है. ऐसे में यदि बड़े पैमाने पर निजी मामलों या तलाक के मामलों में इंटरनेट हिस्ट्री का इस्तेमाल कर व्यक्तित्व के कुछ छुपे हुए पहलुओं के बारे में जाना जा सके या गतिविधियों को सबके सामने लाया जा सके तो इससे समाज को भी धारणा के विपरीत आज की वास्तविक तस्वीर समझ में आएगी. इस तरह समाज की वास्तविक तस्वीर के आधार पर कानून में सुधार किया जा सकता है.
और इस प्रकार जल्द और सटीक न्याय हो पाने की ज्यादा उम्मीद भी होगी।