एक तरफ दुनिया में आम लोगों को सिखाया जा रहा था की वैश्वीकरण उनके लिए अच्छा है और उन्हें सबके साथ मिलकर चलना होगा और नियमों का पालन करना होगा. वहीं दो दशक के वैश्वीकरण के बाद अब हालात ये हैं की राष्ट्राध्यक्षों के खिलाफ अरेस्ट वारंट (गिरफ़्तारी वारंट) जारी हो रहे हैं.
एक सनसनीखेज घटना में The Hague में स्थित इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में चीफ प्रासीक्यूटर करीम खान ने इसरायली और हमास के शीर्ष नेतृत्व के लिए गिरफ़्तारी वारंट का आवेदन किया है. ये वारंट अक्टूबर 7 को इजराइल में हुए आतंकी हमले और उसके बाद गाजा में की गयी इसरायली सैन्य कारवाई के सन्दर्भ में है.
इस आवेदन से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया और तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गयी हैं. जहाँ इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ICC चीफ प्रासीक्यूटर की कड़े शब्दों में निंदा की है की उन्होंने हमास संगठन की तुलना एक लोकतान्त्रिक देश इजराइल से की है, इसरायली राष्ट्रपति इसाक हेर्ज़ोग ने इसे अस्वीकार्य बताया है.
हमास ने भी बयान जारी कर उसके शीर्ष नेतृत्व को निशाना बनाये जाने को लेकर निंदा की है और ये भी कहा की इसरायली नेतृत्व जिसमें नेतन्याहू और उनके सहयोगी शामिल हैं,,,,,,,,,,उनकी गिरफ्तारी वारंट के लिए आवेदन काफी देर से दायर किया गया है.
घटनाक्रम पर अमेरिका का बयान भी आया जिसमें राष्ट्रपति जो बाइडेन और विदेश मंत्री अंटोनी ब्लिंकेन ने ICC चीफ प्रोसिक्यूटर के कदम की भर्तसना भी की है और इसे खारिज भी किया है.
इजराइल को लेकर ICC आक्रामक भले दिख रहा हो पर ये भी सच है की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी ICC का वारंट पेंडिंग है. पुतिन लगाया गया की उनकी सरकार ने यूक्रेन में युद्ध के दौरान उक्रेनी बच्चों को अवैध ढंग से रूस में स्थानांतरित कर दिया.
इस ICC वारंट के चलते पुतिन दुनिया की बैठकों में शामिल नहीं हो सके और उन्हें या ऑनलाइन जुड़ना पड़ा या अपने विश्वस्त विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव को भेजना पड़ा. इसमें दक्षिण अफ्रीका में हुई ब्रिक्स की बैठक भी शामिल थी जहाँ पर नरेंद्र मोदी और सी जिनपिंग दोनों शामिल हुए थे.