पुरानी सरकारों की गलतियों को सुधारते हुए मोदी सरकार ने बिम्सटेक समूह बनाया जिसका चार्टर अब प्रभावी हो चुका है. बिम्सटेक समूह में पाकिस्तान को छोड़ भारत के पडोसी श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड के साथ नेपाल और भूटान भी शामिल हैं.
सार्क नाम का संगठन जो आतंकी देश पाकिस्तान के चलते निष्प्रभावी हो गया था, उसकी जगह बीते सालों में भारत सरकार ने दूरदर्शिता दिखाते हुए बिम्सटेक समूह को आगे बढ़ाया है और अब इसका चार्टर लागू हो चुका है. जहाँ सार्क का आधार दक्षिण एशिया में सहयोग था जो कभी हो नहीं पाया, वहीं बिम्सटेक का आधार बंगाल की खाड़ी है जिसके आस पास के देश अब साथ आकर समन्वित विकास करना चाहते हैं.
चार्टर लागू होने का आशय इस बात से है की अब इस समूह के देश समन्वय के साथ आपसी समझौते और विकास कर पाएंगे. चार्टर इन देशों को विधायी और संस्थागत ढांचा मुहैय्या कराता है जिसके आधार पर ये देश आपस में विकास के लिए सहयोग कर सकते हैं.
ज्ञात हो ये पहल काफी समय से जारी है. भारत अपने आसपड़ोस में अब चीन, अमेरिका या रूस का दखल नहीं होने देना चाहता है और इसलिए अब इन देशों में कुछ सालों में वीसा के बिना ट्रेवल भी संभव हो सकेगा.
एक दूसरे के यहाँ पर्यटन और उद्योग को तरजीह दी जाएगी जिससे सब एक साथ विकास करें. भारतीय रुपया अब इस क्षेत्र में कुछ सालों में अत्यंत प्रभावी मुद्रा होगी. फिर ये भी ध्यान रखें की भारत ने हाल में ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर दस साल समझौता किया है जिसके जरिये मध्य एशिया के देश और रूस तक से जुड़ाव हो सकेगा.
तो जाहिर है रूस के पड़ोस और भारत के पड़ोस में ऊर्जा समेत, सुरक्षा, टेक्नोलॉजी, टूरिज्म आदि में अत्यधिक बढ़ोत्तरी होगी. आबादी के संकट से जूझ रहा चीन इसमें ज्यादा कुछ कर नहीं पायेगा. घरेलु समेत कई मोर्चों पर जूझ रहा अमेरिका भी यही चाहेगा की भारत इस क्षेत्र में चीन को पछाड़कर नेतृत्व संभाल ले.