आने वाले जून 2 को ओपेक प्लस की बैठक होने वाली है जिसमें यही फैसला होने की उम्मीद है की क्रूड की सप्लाई में कटौती जारी रखी जाएगी। रूस के नेतृत्व में होने वाली बैठक में कच्चे तेल के दाम स्थिर बननाए रखने के लिए इसकी सप्लाई में कटौती जारी रखी जाएगी.
मगर गर्मी में अमेरिका समेत दुनिया भर में तेल की मांग के साथ कमजोर डॉलर के चलते क्रूड के दाम बढ़ने के आसार है. इधर भारत में भी इस बारे में रणनीति पर विचार होने लगा है.
भारत कच्चे तेल के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे खरीददार है. अब खबर ये आ रही है की वैश्विक स्तर की भारतीय रिफाइनरी रिलायंस ने रूसी सप्लायर रोसनेफ्ट के साथ एक बड़ा सौदा कर लिया है हालांकि दोनों पक्षों ने इस पर टिप्पणी नहीं किया है.
ऐसी खबरें हैं की रिलायंस ने डॉलर को छोड़कर रूसी मुद्रा रूबल में एक साल के लिए सौदा किया है. जो जानकारी सामने आ रही है उसमें माना जा रहा है की रिलायंस उराल क्रूड के दो कार्गो हर महीने खरीदेगा पर उसे अधिकार होगा की वो हर महीने चार कार्गो और भी खरीद सके. ठीक इसी तरह लो सल्फर वाले ESPO क्रूड की भी खेप हर महीने रिलायंस एक से दो कार्गो खरीदेगा.
जहाँ तक उराल क्रूड का सवाल है उसमें दुबई बेंचमार्क के अनुसार हर बैरल पर तीन डॉलर की छूट मिलने की बात कही जा रही है पर ESPO क्रूड में ये छूट एक डॉलर की होने वाली है.
तो एक तरफ जहाँ जून 2 की बैठक के बाद कच्चे तेल के दाम दुनिया भर के लिए बढ़ सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत में रूसी तेल का फ्लो जारी रहने की सम्भावना है, वो भी छूट के साथ और रूसी मुद्रा में. डॉलर की जगह रूसी मुद्रा रूबल में सौदा होने से कंपनी पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा नहीं होगा.