भारत में अमेरिका के राजदूत, एरिक गरसेटी का एक वीडियो वायरल हुआ जा रहा है. अमेरिकी दूतावास द्वारा बनाया ये वीडियो एरिक गरसेटी के भारत में एक साल पूरा होने पर है. नाटकीयता से भरपूर इस वीडियो में एरिक गरसेटी भारत अमेरिका के मध्य हुए प्रगति के बारे में बता रहे हैं.
कैसे अमेरिकी बादाम भारत में और भारतीय आम अमेरिका में जगह बना रहे हैं. कैसे क्रिकेट के कमर्शियल वैल्यू को अमेरिका में नए नजरिये से समझा गया है और कैसे भारत अमेरिका की सेनाएं नयी चुनौतियों के लिए तैयार हो रही हैं, ये सभी कुछ इस वीडियो में दिखाया गया है.
मगर खबर ये नहीं की वीडियो मजेदार है और ये वायरल हो रहा है. खबर ये है की बीते एक दशक से ऊपर जितने भी अमेरिकी राजदूत भारत में रहे हैं जिसमें रिचर्ड वर्मा और केन जस्टर शामिल हैं, उन्होंने ना सिर्फ भारत सरकार से संबंध सुधारने की कोशिश की पर सजग रूप में भारतीय जनता में भी अमेरिका को लेकर अच्छी छवि का निर्माण करना आवश्यक समझा.
दरअसल पचास से ऊपर प्रांतों वाला अमेरिका सिर्फ अंग्रेजी बोलता है और मूल रूप में ईसाइयत वहां का मजहब है, ऐसे में जब से अमेरिका ने भारत को जानना और समझना शुरू किया है, उसने ये पाया है की भारत को कितना भी बदनाम करने की कोशिश हो पर कई भाषाओँ और प्रांतों और भिन्नताओं वाला ये देश एकदम शांति से रहता है.
भारतीय लोग अनेक प्रकार की चुनौतियों के बावजूद भी अपने संस्कार और परिवार के भरोसे दुनिया भर में फैले भी हुए हैं और हर जगह उनके बिना काम भी नहीं चलता. अमेरिका ने जाना की उसने हमेशा भारत को कमतर समझा और पाकिस्तान और चीन के साथ रब्त जब्त बढ़ायी पर वो दोनों लूट खसोट के चलते बने.
तब जाकर अमेरिका ने भारत को जानना समझना शुरू किया. उसने जाना की भारत रुस और ईरान जैसे देशों से हथियार और तेल लेकर चुपचाप अपना काम कर रहा है. खाड़ी देशों के मुश्किल माहौल में इस देश के लोग उन सारी अर्थव्यवस्थाओं का आधार बन बैठे हैं. इस तरह ये खुलासा हुआ की अमेरिका में बैठे कुछ चुनिंदा लोग भारत के बारे में कितना झूठ परोस अपनी दूकान चलाते हैं.
आपको जान कर आश्चर्य होगा की भारत की छवि ख़राब करने की नीयत कोई आज की नहीं है. अमेरिका में एक भारतीय मूल के प्रोफेसर जिनकी एक पुरानी पार्टी से काफी नजदीकी है. उनका दावा या परिचय है की वो भारत में हुए सांप्रदायिक दंगों के स्पेशलिस्ट है और इस विषय पर वो पूरे अमेरिका में बात करते फिरते हैं.
अब जब अमेरिका के नीति निर्धारकों को मालूम हुआ की उन्हें गलत तस्वीर दिखाई जा रही थी और भारतीय तो कैसे भी अपने लिए रास्ता निकाल ही लेंगे. तब जाकर उसने इस देश में अपनी छवि पर काम करना शुरू किया.
अगर आप गौर करें तो पूर्व में नियुक्त राजदूत डेविड मलफोर्ड, रिचर्ड वर्मा और फिर केन जस्टर फिर भी अधेड़ उम्र के और अनुभवी राजदूत लगते थे जो भारतीय विदेश मंत्रालय के लोगों से या सरकार के लोगों से बात करने में ज्यादा सहज महसूस करते. पर इसके उलट इस बार एरिक गरसेटी के रूप एक युवा चोक्लेटी टाइप का एक बंदा भारत में राजदूत नियुक्त किया गया है जिससे फर्स्ट लुक में ही आप प्रभावित हो जाएं.
अमेरिका घरेलु चुनौतियों से जूझ रहा है और इतना कमजोर हो चूका है की अब उसे चीन से हाथ जोड़ने पड़ते हैं की वो कुछ ख़ास किस्म के सिंथेटिक ड्रग के निर्यात पर रोक लगाए। क्योंकि वो ड्रग अमेरिका के युवाओं को तेजी से खोखला कर रहा है. अमेरिका में दिनों दिन कानून व्यवस्था खराब होती जा रही है. ऐसे में वहां पर भारत के लोग एक ठंडी हवा के झोंके के समान हैं जो नासा से लेकर हर तरह की टेक्नोलॉजी, 5G, 6G और क्वांटम कंप्यूटिंग में अमेरिका को आगे रख सकते हैं. अमेरिका भारतीय युवाओं को अपने यहाँ कॉलेज यूनिवर्सिटी में खूब मौका देना चाहता है जिससे वो संस्थान प्रासंगिक बने रहें।
भारत के लिए मामला एकदम ठीक है बस इस बात का ध्यान रखना होगा की अच्छा समय माथा ख़राब मत कर दे. युवा अपनी जड़ों को पहचानें और संस्कार से जुड़े रहे,,,,,,,,उनकी टक्कर का कहीं कोई हो ही नहीं सकता। सिर्फ एक उदाहरण देखना काफी होगा,, दुनिया में कई शहरों में आजकल जगन्नाथ रथ यात्रा, होली, दिवाली मनाई जाती है. इसमें कई बेहद कट्टर देश भी है. पर कहीं भी इसको लेकर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं है. ये अकेला उदाहरण काफी है की भारतीय युवा अपनी विरासत का मोल समझे।