और कैसे समझा जाए जो कुछ दुनिया में चल रहा है. ब्रिटेन में रवांडा प्लान को संसद की मंजूरी मिल गयी है. अब प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की मानें तो दुनिया की कोई ताकत ब्रिटेन को घुसपैठियों को रवांडा भेजने से रोक नहीं सकती।
पीएम ऋषि सुनक की मानें तो अब कोई किन्तु परन्तु की गुंजाईश नहीं है,,,,,,कोई अदालत, चाहे वो विदेशी ही क्यों ना हो वो हस्तक्षेप नहीं कर सकती। घुसपैठियों को रवांडा भेजने के लिए रनवे और नागरिक विमान के साथ 500 प्रशिक्षित कर्मी तैयार है.
पर बड़ा मुद्दा ये है की दुनिया में कहीं कोई हल्ला हंगामा नहीं हो रहा है.अमेरिका भी मानव अधिकार को लेकर चिंतित नहीं है. साल के अंत तक ब्रिटेन में चुनाव होने हैं और घुसपैठ ब्रिटेन की राजनीती में इतना बड़ा मुद्दा हो चूका है की वर्तमान सरकार को कुछ ठोस करते हुए दिखना ही होगा नहीं तो हार निश्चित है.
दुनिया भर में सहिष्णुता और विविधता का पाठ पढ़ाने वाले पश्चिमी देशों में दक्षिणपंथी राजनीति का उदय बहुत तेजी से हो रहा है. इसके चलते वहां की सरकारों पर दबाव है की वो घुसपैठ और डेमोग्राफी में हो रहे बदलावों को रोके और इसके लिए दूरगामी नीति बनाये.
इस मामले में ढेरों विरोधाभास भरे पड़े हैं. जहाँ एक तरफ कई तरह से समझाने और ऐतिहासिक सन्दर्भ बताने पर भी भारत के नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना हुई. जबकि ये कानून पड़ोस के तीन देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात करता है.
लेकिन इसके उलट, ब्रिटेन में संसद ने कानून पारित कर घुसपैठियों की पहचान का अधिकार सरकार को दे दिया और उन्हें दूर अनजान असुरक्षित देश रवांडा भेजने की मंजूरी दे दी.
ये ध्यान रखना होगा की शुरुआती तौर पर इस कानून का विरोध हुआ इस आधार पर की रवांडा असुरक्षित देश है, जहाँ ब्रिटेन किसी को भी जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.
इसके बाद सरकार ने अपने कागजों में बदल कर रवांडा को एक सुरक्षित देश बताना शुरू कर दिया जिससे कोर्ट इन मामलों में हस्तक्षेप ना कर सके. ये भी दिलजस्प जानकारी है की खुद ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ने कई रिपोर्ट्स के हवाले से रवांडा को एक असुरक्षित देश बताया था. और भी दिलजस्प है की अमेरिका ने इसी साल फरवरी में रवांडा और कांगो को चेतावनी दी थी और युद्ध के कगार से लौटने की सलाह दी थी.