भारत में चल रही चुनावी सरगर्मी पर दुनिया भर की नजर है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में जहाँ इतनी विविधता हो और भाषा, पहनावे का फर्क हो, वहां पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा कैसे बार बार जनमानस पर छा जाती है, इसको जानने की दिलजस्पी कई नेताओं में होना स्वाभाविक ही है.
पर आश्चर्य तो ये है की ऐसे नेताओं की सूची में लम्बे समय से सत्ता में रह चुके इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हैं. ये तब स्पष्ट हुआ जब भाजपा ने इस बात की घोषणा किया की नेतन्याहू की पार्टी लिकुद और पुतिन की पार्टी यूनाइटेड रशिया पार्टी अपना एक प्रतिनिधि मंडल भेजने वाले हैं भारत में जिससे वो सत्ताधारी दल के चुनावी अभियान और पूरी चुनावी प्रक्रिया को समझ सकें।
भाजपा ने स्पष्ट किया है की कोई दस देशों से 18 राजनीतिक दल अपने लोग भेजेंगे जिससे वो भारतीय चुनावी उत्सव को देख समझ सकें। इसमें इजराइल और रूस की सत्ताधारी दलों के इतर वियतनाम की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी, नेपाल के पांच राजनीतिक दल जिनमें नेपाली कांग्रेस और नेपाली कम्मुनिस्ट पार्टी (माओवादी) भी भारत में अपना प्रतिनिधि मंडल भेजेगा।
मॉरिशस के चार राजनीतिक दल और श्रीलंका के दो राजनीतिक दल अपने प्रतिनिधि मंडल को भेजेंगे। ऑस्ट्रेलिया की लिबरल पार्टी, जिसके प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन पिछला चुनाव हार गए थे, वो भी अपना प्रतिनिधि मंडल भेजना का तय किये हैं.
घोषित कार्यक्रम के अनुसार एक मई को इन प्रतिनिधि मंडलों की मुलाकात भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा से होगी और फिर विदेश मंत्री जयशंकर और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव भी इनसे मिलेंगे. इसके बाद इन्हे भाजपा की चुनावी रणनीति और चुनावी प्रक्रिया की बारीकी से अवगत कराया जाएगा