भारतीय वायु सेना को पूरी तरह स्वदेशी विमानों से लैस करने की ओर मोदी सरकार
भारत की सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमिटी ने आखिरकार पांचवी पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान के लिए मंजूरी दे दी है. कोई 15 हजार करोड के खर्च से कुल पांच प्रोटोटाइप तैयार किये जाएंगे जिसके बाद टेस्टिंग और फिर भारतीय वायु सेना में शामिल किये जाने की प्रक्रिया होगी।
Advanced Medium Combat Aircraft (AMCA) के नाम से चलने वाला इस प्रोजेक्ट का पहला विमान 2026 तक तैयार होगा, शुरुआती चरण में इन विमानों में अमेरिकी GE 414 इंजन लगे होंगे पर एक दशक के भीतर ही भारत एक अत्यधिक शक्तिशाली स्वदेशी इंजन के लिए भी प्रयासरत होगा।
ध्यान रहे की फ़िलहाल दुनिया में अमेरिका, रूस और चीन के पास तैनात अवस्था में पांचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है पर तुर्की और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी इस मोर्चे पर तेजी से प्रगती कर रहे हैं, इसलिए भारत में सुरक्षा मामलों के जानकार इस बात पर सवाल उठा रहे थे की AMCA को मंजूरी मिलने में देरी क्यों हो रही है.
कई खबरें चलने लगी थी की संभवतः भारत अमेरिका के दबाव में है और खुद के विमान की जगह अमेरिकी विमान को खरीदना चाहेगा। रूस भी अपना पाँचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान भारत को बेचना चाहता है पर अब भारत सरकार से मिली मंजूरी के बाद इन सभी आशंकाओं पर विराम लग चूका है.
AMCA की खासियत होगी की बिना राडार पर दिखे और अत्यधिक हथियार लेकर दुश्मन के इलाके में हमले कर सकेगा। GE 414 के दो इंजन से लैस ये विमान भारत के लिए देसी तौर पर औद्योगिक क्षमता दिखाने का और घरेलु विमानन उद्योग में लाखों करोड़ों के निवेश का बढ़िया मौका होगा।
दुनिया में तो भारत की टेक्नोलॉजी पर महारत की बात होगी ही, दक्षिण एशिया और आसपास के क्षेत्र में भारत सुरक्षा की गारंटी होगा।
जहाँ दक्षिण कोरिया में पांचवी पीढी के स्वदेशी विमान का ट्रायल शुरू हो चूका है वहीं तुर्की ने भी अपने नए उन्नत विमान का पहला हवाई ट्रायल हाल में पूरा किया। इसके बाद से ही भारत में सवाल ज्यादा पूछे जाने लगे थे. कुछ जानकारों का मानना है की भारत में पांचवी पीढ़ी के विमान के लिए कई टेक्नोलॉजीज पर काम जारी था पर इसे एक प्रोजेक्ट के रूप में मंजूरी अब मिली है.
इस तरह अब मोदी सरकार तीसरे टर्म तक आते आते पूरी तरह स्वदेशी वायु सेना की और बढ़ चली है. जहां स्वदेशी हलके और मध्यम वजनी लड़ाकू विमानों की खरीद की मंजूरी दी जा चुकी है वहीं अब 2030 के दशक से पांचवी पीढ़ी के उन्नत देसी लड़ाकू विमान शामिल होने लगेंगे।
तो इस तरह अगले दो दशक में ही भारतीय वायु सेना पूरी तरह स्वदेशी लड़ाकू विमानों से लैस होगा और इसका पूरा पूरा श्रेय मोदी सरकार को ही जाता है.