भारत का CAA,,,,,,,,,,क्या पाकिस्तान को तोड़ देगा ???

जी हाँ ये सवाल अब गंभीर हो चला है. ऐसा इसलिए की दुनिया भर में मोदी सरकार की आलोचना के चक्कर में पाकिस्तान के असलियत का रायता बराबर फैल रहा है.

बात करें दिसंबर 2019 के आस पास की जब नागरिकता संसोधन कानून संसद में पेश किया जाना था और इसके पहले से ही इस कानून में दुनिया भर के लोग मीनमेख निकाल रहे थे. जहाँ वो भारत के संविधान का हवाला दे रहे थे वही अपनी बात साबित करने के लिए वो पाकिस्तान की जमीनी सच्चाई भी खुले तौर पर बोल रहे हैं. 2019 से शुरू हुई आलोचना अब 2024 में भी जारी है और अब भी पाकिस्तान की पूरी करनी दुनिया के सामने रखी जा रही है, ये साबित करने के लिए की मोदी सरकार भेदभाव कर रही है !!!

ये वही लिबरल तबका है जो हमेशा से पाकिस्तान में जाकर प्यार और मुफ्त के समोसे कचौड़ी खाया करता था, वहां पर क्रिकेट और शेरो शायरी की महफिलें लगाया करता था. लेकिन जब से मोदी सरकार ने CAA कानून की बात शुरू की है, भारत समेत दुनिया भर के लिबरल ना जाने क्यों पाकिस्तान की बखिया उधेड़ने में लगे हैं. वो बार बार हर टेलीविज़न शो, न्यूज़ डिबेट और यूट्यूब की चर्चाओं में इस बात को उल्लेखित करते रहते हैं की पाकिस्तान में ढेरों तबके पीड़ित और प्रताड़ित हैं. इतना की अब उनका वहां रहना भी दूभर है और उन्हें भारत में आने देना ही होगा।

लिबरल तबके की मानें तो पाकिस्तान का तीन चौथाई समाज या इससे भी ज्यादा भारत में आकर नागरिकता पाना चाहते हैं और सच्चर कमिटी की रिपोर्ट को और पुष्ट करना चाहता है. केवल पीड़ित और प्रताड़ित हिन्दू आसपास के तीन देशों से आकर भारत में बस जाए और वो अपने बच्चों को ये इतिहास बताएं की 1947 में वो अपने ही देश में पराये और अल्पसंख्यक हो गए थे और दशकों बाद उन्हें भारत में बसने और अधिकार पाने का मौका मिला, तब जाकर उनकी जान में जान आयी, तो ये किस तरह का इतिहास होगा। बाहर से आकर प्रताड़ित हिन्दू भारत में बस जाये तो अस्सी प्रतिशत समूह बढ़ के 82 फीसद हो सकता है तब तो सिकुलर दलों के लिए और परेशानी होनी ही है.

अगर मोदी सरकार का नैरेटिव चलता रहा तो पूछा जाएगा की इतने दशकों की व्यापक और संगठित हिंसा के बाद भी कैसे ये दावा किया जा सकता है की भारतीय उपमहाद्वीप एक अहिंसक आंदोलन और नियमित उपवास के फलस्वरूप स्वतन्त्र हुआ था और उस समय का नेतृत्व परिपक्व था ? ये गंभीर सवाल हैं जो पूछे जायेगे। आज नहीं तो कल. .

इससे तो आने वाली पीढ़ियां भारत की पुरानी पार्टी और उसके समर्थक लिबरल तबके से सवाल पूछेगी,,,,,,,,,,,,,,,की जब पाकिस्तान और अन्य दो देशों में उनके साथ प्रताड़ना हो रही थी तब वो पाकिस्तान में जाकर शेरो शायरी के मजे ले रहे थे, क्रिकेट मैच देखते हुए कोल्ड्रिंक पी रहे थे और मुफ्त की कचौड़िया उड़ा रहे थे ?

आने वाली पीढ़िया जरूर पूछेगी की पाकिस्तान में भारत के सिकुलर दल के लोगों और लिबरल तबके को तो प्यार मिला, लेकिन क्या कभी उन्होंने जानने की कोशिश की उनके किये बटवारे के नतीजे में हिन्दू समुदाय क्या नर्क भोग रहा है. क्या इस पर कोई भी एक फिल्म या सीरियल बन पायी????

CAA सिकुलर दलों की राजनीती के लिए तो डेथ सर्टिफिकेट है ही पर पाकिस्तान में पीड़ा और प्रताड़ना को लेकर जिस तरह दुनिया भर में लिखा और बोला जा रहा है ,,,,,,,,,,,,,,वो कभी न कभी असर दिखायेगा और पाकिस्तान टूट भी सकता है. घबराहट का आलम देखिये की भारत के एक नेता ने अपनी तरफ से एलान कर दिया की सत्ता में आने पर इस कानून को रद्द ही कर दिया जाएगा

दुनिया भर के लोग मोदी सरकार के CAA कानून की धज्जियां उड़ाने के चक्कर में जिस तरह से पाकिस्तान में होने वाले हर तरह के अत्याचार को एक्सपोज़ कर रहे हैं उसके नतीजे में जिन्नाह का ये बचा कुचा देश कई टुकड़ों में फिर से बंट सकता है. वैसे भी अभी बीते ठण्ड के मौसम में पूरे बलोचिस्तान (पाकिस्तान का आधा हिस्सा) की महिलाएं एक महरंग बलोच के नेतृत्व में उठ कर धरना देने लगी थी. उन्होंने पाकिस्तान की सरकार पर बलोच मर्दों को अगवा करने और उन्हें मार देने का आरोप लगाया। हालात इतने ख़राब हो चले हैं की ये महिलाएं संयुक्त राष्ट्र से एक जाँच समिति बनाये जाने और इन्वेस्टीगेशन की मांग कर रही थी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *