पाकिस्तान के चुनाव भले विवादों में घिरे रहे हों पर देश को अब शहबाज़ शरीफ के रूप में नेता मिल गया है,,,,शहबाज़ शरीफ को प्रधानमंत्री के रूप में चुन लिया गया है और वो एक कमजोर गठबंधन का नेतृत्व करेंगे
मगर शहबाज़ शरीफ के नेता चुने के साथ ही पाकिस्तानी मीडिया में ये चर्चा शुरू हो गयी की क्या भारत के प्रधानमंत्री शरीफ को बधाई देंगे,,,,,,और क्या दोनों देशों में संबंधों को लेकर कोई उम्मीद है
उसका जवाब भी अब आ गया ,,,,,,,,,,,,,,,पीएम मोदी ने आज शहबाज़ शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए बधाई दी पर इसके आगे पीछे और कुछ भी नहीं कहा
आपसी संबंधों को लेकर कोई बात ही नहीं की गयी जिससे स्पष्ट है की मोदी सरकार के आंकलन में फ़िलहाल तो शहबाज़ शरीफ से कोई ख़ास उम्मीद नहीं की जा सकती
ध्यान रहे की पाकिस्तान के चुनाव ही विवादों में रह चुके हैं और इसलिए भी कई वैश्विक स्तर के नेता सीधे और खुल के बधाई देने में हिचक रहे हैं.
मीडिया में ये बात आ चुकी है की पाकिस्तान की सेना के इशारे पर चुनाव में जबरदस्त धांधली हुई और फिर भी इमरान खान की पार्टी पीटीआई एक मजबूत विपक्ष बन ही गयी
सेना के इशारे पर ही नवाज़ शरीफ और आसिफ अली ज़रदारी की पार्टियां साथ आकर सरकार बना सकी पर पीटीआई के विपक्ष में रहते पीएम शरीफ कोई विशेष रियायत या भारत के साथ संबंधों में बहुत आगे नहीं जा पाएंगे
इसलिए भी हो सकता है की मोदी सरकार को इस नए नेतृत्व से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है,,,,,पाकिस्तान के प्रति ये ठंडापन भारत में राष्ट्रीय चुनाव के पहले कोई आश्चर्यचकित नहीं करता
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ये भी ध्यान रहे की पाकिस्तान के घटनाओं पर इधर भारत में दिलजस्पी कम हुई है. खुद भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल में ही कहा की सार्क के बदले बिम्सटेक से उन्हें ज्यादा उम्मीदें है
दरअसल 2014 के बाद से सार्क के बैठक नहीं हो पायी है क्योंकि पाकिस्तान अपनी आतंकपरस्त नीति छोड़ने को तैयार नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,भारत ने इधर सार्क में शामिल रहे कई देशों के साथ बिम्सटेक बना लिया पर पाकिस्तान को इसमें शामिल नहीं किया गया,,,भारत श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान, मॉरिशस के साथ वित्तीय एकीकरण पर ऊर्जा सुरक्षा पर काफी आगे जा चुका है
इस बीच पाकिस्तान अभी भी पुराने दौर से निकलने को तैयार नहीं