अब एक देश, एक चार्जर भी, ग्राहक और पर्यावरण को होगा फायदा

मोबाइल क्रांति का गढ़ बन चुके भारत में भी लागू हो सकता है एक चार्जर का नियम। यूरोपीय यूनियन की तरह ही भारत में भी ये नियम लागू किया जा सकता है

रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार कॉमन चार्जिंग पोर्ट का नियम लागू करने पर विचार कर रही है. इस नियम के लागू होने के बाद सभी स्मार्टफोन्स और टैबलेट के लिए एक ही चार्जिंग पोर्ट जरूरी होगा.

ये भी माना जा रहा है की सरकार Type-C चार्जिंग पोर्ट को कॉमन बना सकती है. साल 2022 में यूरोपीय यूनियन ने ये नियम पास किया था, जिसके बाद ऐपल को भी iPhone में टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट देना पड़ा था. इस साल के अंत तक सरकार इस पर कोई ऐलान कर सकती है.

इस फैसले का मकसद यूज़र्स के लिए एक समान चार्जिंग समाधान प्रदान करना है, जिससे उन्हें अलग-अलग डिवाइस के लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत नहीं पड़ेगी. कई लोग ये भी दावा कर रहे हैं की ये कदम पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होगा, क्योंकि इससे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में कमी आएगी.

अच्छी बात ये है कि Apple समेत कई स्मार्टफोन ब्रांड पहले ही अपने डिवाइस के लिए USB C को चार्जिंग स्टैंडर्ड के रूप में अपना चुके हैं. इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि ये बदलाव मोबाइल कंपनियों के लिए किसी तरह की कोई चुनौती पैदा नहीं करेगी.

सरकार ने नवंबर 2022 में इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग के बाद चार्जिंग के स्टैंडर्ड तरीके के तौर पर USB Type-C को अपनाने पर सहमति दी थी. इस मीटिंग में स्मार्टफोन्स, लैपटॉप्स और टैबलेट्स जैसे डिवाइसेज के लिए USB Type-C को चार्जिंग पोर्ट के तौर पर इस्तेमाल करने का फैसला हुआ था.
हालांकि, इस नियम को लागू करने के लिए कोई समयसीमा नहीं बताई गई थी.

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