प्रचंड गर्मी के बीच एक नया रिकॉर्ड बना है. दिल्ली में बिजली की मांग मई 22 को कोई 8000 MW को छू रही थी. दिल्ली के इतिहास में ये उच्चतम स्तर की बिजली की मांग है.
बिजली विभाग के लोगों के बताया की मई 22 की दोपहरी को नया रिकॉर्ड बना, 7717 MW का, और फिर कुछ ही घंटो में ये भी पार हो गया और 7726 MW की मांग दर्ज की गयी. बिजली की इस कदर मांग कोई साधारण घटना नहीं। ऐसा नहीं है की लोगों के पास पैसा है तो वो गर्मी में एयर कंडीशन फूंके पड़े हैं.
मामला है लगातार गर्म होती दुनिया का. इस बात को याद रखना होगा की पश्चिमी औद्योगीकरण के चलते दुनिया गर्म हो गयी है. पूरी दुनिया में अब कम या ज्यादा एक ही प्रकार का आर्थिक मॉडल चलाया जा रहा है जिससे जंगल और गाँव उजड़ रहे हैं और शहरीकरण बढ़ता जा रहा है, पर वो भी मुश्किलें ही बढ़ा रहा है.
दुनिया में तेजी से साफ़ ऊर्जा उत्पादन क्षमता विकसित किये जाने की जरुरत है जिसका मतलब होगा वैश्वीकरण वाली दुनिया में अमीर देश मध्यम आय और निम्नतम आय वर्ग के देशों को इसमें मदद करेंगे.
लेकिन पश्चिम के अमीर देश क्या कर रहे हैं ? उन्होंने तय किया है की वो अपनी जीडीपी का कम से कम दो प्रतिशत रक्षा और हथियार उद्योग पर खर्च करेंगे. गरीब और मध्यम आय वर्ग देश एक बार फिर ग़ुलाम हो सकते हैं. क्योंकि अमीर देश के पीछे चलने की उनकी आदत छूट नहीं रही है और अमेरिकी बाजारवाद का मॉडल लेकर वो विकास नहीं कर सकते जब तक उनके पास डॉलर की ताकत, सालाना एक ट्रिलियन डॉलर का रक्षा बजट, और दुनिया भर में 800 सैन्य अड्डे के साथ साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में वीटो का अधिकार ना हो.
भारत में पुरानी सरकारों ने जो गलती की भुगतान हम आज कर रहे हैं की हमसे पांच गुना अर्थव्यवस्था हो गया चीन, जो की परम्परागत और रासायनिक जैविक हथियारों के मामले में भी अब पूरी तरह आत्मनिर्भर है, उसकी आक्रामकता को झेलना पड़ रहा है. भुगतान ये भी है पुराना दोस्त सोवियत यूनियन टूट गया और इतना बड़ा देश भारत इसमें कहीं भी हस्तक्षेप नहीं कर सका.
भुगतान ये भी है की अमेरिका और बाकी के पश्चिम के देश भारत में आकर महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं जैसे की यहाँ का समाज उस मुद्दे पर ध्यान ही नहीं दे रहा है. दरअसल वो चाहते हैं की भारतीय समाज में विघटन बढे, औरतें घर से बाहर निकले, पुरुष वर्ग के लिए मौके सीमित हों और बच्चे अकेले छूट जाएँ और परिवार परंपरा से अलग हो जाएं। इसका लाभ ये होगा की समाज में हर तरह का अपराध बढ़ेगा और आबादी तेजी से गिरने लगेगी.
आज की सरकार और राष्ट्रवादी संगठन, उनको चाहिए की दुनिया से अलग थलग ना रहे. जब फरीद ज़कारिया कह रहे हैं की अमेरिका के पास तेल समेत ऊर्जा असीमित भंडार है, टेक्नोलॉजी में सबसे आगे है, बाहरी लोगों को स्वीकारता भी है तो भारत और दुनिया के कई अन्य देशों को चाहिए की वो अपने लोगों को इस व्यवस्था का लाभ लेने वहां भेजे। अमेरिका को ये सुनिश्चित करना होगा की बाहर से आये लोगों को उनके सिस्टम में सभी अधिकार मिलें और वो वहां का हिस्सा बन सकें।
अब जब पश्चिम के देश दुनिया का नुकसान कर उसका हर्जाना भी नहीं देना चाहते और उलटे रक्षा बजट पर खर्च करना चाहते हैं तो बाकी दुनिया का भी अधिकार होना चाहिए की उनका भी इन देशों में हिस्सा हो.अफ्रीका और एशिया के लोगों का ये अधिकार होना चाहिए की वो भी अमेरिका और यूरोप को अपना बना सकें. इस पर अब खुल के बात होनी चाहिए।