दिल्ली पुलिस ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया है जो म्यांमार के रोहिंग्यों को बांग्लादेश के रास्ते भारत के विभिन्न राज्यों और पैसेवाले रोहिंग्याओं को रूस जैसे पश्चिमी देशों में भेजने का काम करता था.
बांग्लादेश से चलने वाला इस गिरोह का खुलासा तब हुआ जब एक आदमी और एक औरत को फर्जी भारतीय पासपोर्ट के साथ रूस में पकड़ा गया और उन्हें भारत वापस भेज दिया गया.
जिन दो लोगों को धरा गया है उनमें एक म्यांमार के रखिन राज्य का ही है और इसे हैदराबाद से पकड़ा गया है. धरपकड़ तब हुई जब म्यांमार के इस जोड़े को रूसी जहाज में बैठा कर वापस भारत में भेजा गया और इनके पास फर्जी भारतीय पासपोर्ट के साथ पैन और आधार कार्ड भी मिले.
पर ज्यादातर लोगों को भारत के विभिन्न राज्यों में भेजने का ही रैकेट चल रहा है. सिर्फ पैसेवालों को और पश्चिमी देशों की ओर रवाना किया जा रहा है. पुलिस सूत्रों के अनुसार पकडे गए दो जनों की पहचान नूरुल आलम और अब्दुल गफ्फार के रूप में की गयी है.
जिस जोड़े को रूस से गया था, फर्जी पासपोर्ट में उनकी पहचान शुवोजित दास और बबिता के रूप में थी पर असल में उनका नाम तोहा और राबिया था और दोनों म्यांमार के नागरिक हैं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार दोनों को अगरतला के रास्ते बांग्लादेश से भारत में प्रवेश कराया गया और फिर बंगाल में रहते उनके पैन आधार कार्ड बनाये गए. इसके आधार पर फिर पासपोर्ट भी बन पाए.